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"बोध / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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+ | जिसका अतीत-बोध | ||
+ | एक स्वप्निल चित्र है | ||
+ | और वर्त्तमान | ||
+ | एक मायावी षड्यंत्र! |
14:24, 3 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
बोध
महास्वप्न की
वृत्ताकार जीवनमयता में
ठोस वायव अस्तित्त्व का
कटु यथार्थ भोग रहा हूं
कितना सच हैं--
सतत चढाव से सीमाबद्ध
यह जैविक अवसान
यह पतन
यह बोध
यह उन्माद!
कितना निश्छल है--
महास्वप्न की
अनुभूति की प्रक्रिया में
इसे साकार करने का त्रिशंकु प्रयास!
कितनी अजीब है--
कल्पना और यथार्थ के
हिंडोले में
झूलती ऐन्द्रियता
जिसका अतीत-बोध
एक स्वप्निल चित्र है
और वर्त्तमान
एक मायावी षड्यंत्र!