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"हत्यारों का आगमन / अशोक लव" के अवतरणों में अंतर

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12:26, 4 अगस्त 2010 का अवतरण

रात भर पत्ते
जूतों तले दबते
चरमराते रहे
पागल हवा
बाल खोले चिल्लाती रही
कोई नहीं आया |

सूरज ने आकर देखा
पगडंडियों पर
पत्तों के गोली बिंधे शव
बिछे पड़े थे |