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"मुक्ति का आह्वान / अशोक लव" के अवतरणों में अंतर

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बंद कर लिए गए दरवाज़े
 
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बंद कर ली गयीं खिड़कियाँ
 
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पलने लगे मकड़े
 
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बुनते चले गए विषैले तार
 
बुनते चले गए विषैले तार
उलझने लगे पावँ
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उलझने लगे पाँव
 
चूसने लगे रक्त
 
चूसने लगे रक्त
 
फूलने लगे मकड़े
 
फूलने लगे मकड़े
  
खोलने लगे दरवाजे
+
खोलने लगे दरवाज़े
 
खोलने लगे खिड़कियाँ
 
खोलने लगे खिड़कियाँ
 
ना खुले तो  
 
ना खुले तो  

13:02, 4 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

बंद कर लिए गए दरवाज़े
बंद कर ली गयीं खिड़कियाँ
खो बैठा ताज़गी
बंदी पवन

उगने लगे जाले
पलने लगे मकड़े
बुनते चले गए विषैले तार
उलझने लगे पाँव
चूसने लगे रक्त
फूलने लगे मकड़े

खोलने लगे दरवाज़े
खोलने लगे खिड़कियाँ
ना खुले तो
इन्हें तोड़ना होगा

बंदी पवन की मुक्ति
आवश्यक होती है
अन्यथा घुट जायेग दम
पीढ़ियों का