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"चिराग नहीं जलते / अशोक लव" के अवतरणों में अंतर
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इतना बड़ा देश | इतना बड़ा देश | ||
− | लोगों से पूछा तक नहीं गया | + | लोगों से पूछा तक नहीं गया । |
विभाजित हो गए लोग | विभाजित हो गए लोग | ||
− | बँट गए गली-मोहल्ले,गावँ-शहर,घर आँगन! | + | बँट गए गली-मोहल्ले, गावँ-शहर, घर-आँगन ! |
मर गए रिश्ते | मर गए रिश्ते | ||
− | + | मर गई इंसानियत | |
जी भरकर भोगा कामांध दरिंदों ने लड़कियों-औरतों को | जी भरकर भोगा कामांध दरिंदों ने लड़कियों-औरतों को | ||
तलवारों के वार से करते गए | तलवारों के वार से करते गए | ||
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फूँक डाले मोहल्ले के मोहल्ले | फूँक डाले मोहल्ले के मोहल्ले | ||
हो गए भस्म हिंसा की आग में | हो गए भस्म हिंसा की आग में | ||
− | खानदान के खानदान | + | खानदान के खानदान । |
इस पार के | इस पार के | ||
और उस पार के | और उस पार के | ||
राजनेताओं के हुए राज्याभिषेक | राजनेताओं के हुए राज्याभिषेक | ||
− | जगमगाए | + | जगमगाए उनके भवनों पर रंग-बिरंगे बल्ब |
− | नहीं जल पाए चिराग | + | नहीं जल पाए चिराग आज तक |
उन घरों में | उन घरों में | ||
− | बुझ गए थे जो | + | बुझ गए थे जो सन सैंतालीस में । |
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13:10, 4 अगस्त 2010 का अवतरण
हुए हस्ताक्षर
मिलाए नेताओं ने हाथ
विभाजित हो गया काग़ज़़ के टुकड़े पर
इतना बड़ा देश
लोगों से पूछा तक नहीं गया ।
विभाजित हो गए लोग
बँट गए गली-मोहल्ले, गावँ-शहर, घर-आँगन !
मर गए रिश्ते
मर गई इंसानियत
जी भरकर भोगा कामांध दरिंदों ने लड़कियों-औरतों को
तलवारों के वार से करते गए
सिर धड़ से अलग
फूँक डाले मोहल्ले के मोहल्ले
हो गए भस्म हिंसा की आग में
खानदान के खानदान ।
इस पार के
और उस पार के
राजनेताओं के हुए राज्याभिषेक
जगमगाए उनके भवनों पर रंग-बिरंगे बल्ब
नहीं जल पाए चिराग आज तक
उन घरों में
बुझ गए थे जो सन सैंतालीस में ।