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"घायल हवा / अशोक लव" के अवतरणों में अंतर

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20:33, 5 अगस्त 2010 के समय का अवतरण


थरथराती हवा
चीखती रही रात भर
खटखटाती रही दरवाज़ों कि सांकलें
रात भर

पूरा गाँव
दरवाज़ों से चिपका
बहरा बना
जागते हुए सोया रहा

रात का अँधेरा चीरता रहा
हवा का सीना
दरवाज़ों तक आकर
लौट जाती रही सिसकियाँ हवा की

दिन चढ़ा
हर दरवाज़े के बाहर
टंगी थी
लहूलुहान हवा