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"माहिये-२ / रविकांत अनमोल" के अवतरणों में अंतर
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10:31, 6 अगस्त 2010 का अवतरण
६
जब फूल महकते हैं।
हूक सी उठती है,
कुछ ़दर्द सुलगते हैं।
७
देखा है बहारों में।
फूल नहाते हैं,
किरनों की फुहारों में।
८
जन्नत में क्या होगा।
नूर की बगिया में,
इक फूल खिला होगा।
९
फरियाद किया करना।
फुर्सत में हमको भी,
तुम याद किया करना।
१०
ये वक़्त है जाने का।
मिल के बिछुड़ना ही,
दस्तूर ज़माने का।