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"बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

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15:03, 6 अगस्त 2010 का अवतरण

बूए-गुल, नालए-दिल, दूदे चिराग़े महफ़िल
जो तेरी बज़्म से निकला सो परीशाँ निकला ।
चन्द तसवीरें-बुताँ चन्द हसीनों के ख़ुतूत,
बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला ।