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"वह. / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर
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10:50, 8 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
आज मैं
वह ढूँढ रहा हूँ
लेकिन वह नहीं मिलता
शायद
जीवन के
रेलम-पेले में खो गया
या कहीं
दुर्घटनाग्रस्त हो
चिर निद्रा में सो गया
कभी वह
मैं था
आज मैं
वह है