भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तेरे वादे पर जिये हम / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना,<br /> की ख़ुशी से मर न जाते, अग…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:09, 9 अगस्त 2010 का अवतरण
तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना,
की ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता ।