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"बिजली सी कौंद गयी आँखों के आगे / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
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बिजली सी कौंद गयी आँखों के आगे, तो क्या,<br /> | बिजली सी कौंद गयी आँखों के आगे, तो क्या,<br /> | ||
बात करते कि मैं लब-तश्नऐ-तक़री भी था ।<br /> | बात करते कि मैं लब-तश्नऐ-तक़री भी था ।<br /> | ||
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13:36, 9 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
बिजली सी कौंद गयी आँखों के आगे, तो क्या,
बात करते कि मैं लब-तश्नऐ-तक़री भी था ।
"वह आकर और एक झलक-सी दिखलाकर ग़ायब हो गए । आँखों के आगे एक बिजली-सी कौंद गयी । पर मैं तो उनसे बातचीत का प्यासा था; दो-एक बातें भी कर लेते तो कितना अच्छा होता ।"