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"क्या वो लम्हा ठहर गया होगा.. / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर

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जब मिटा कर नगर गया होगा  
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जब वो अपने नगर गया होगा
एक लम्हा ठहर गया होगा  
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लम्हा-लम्हा ठहर गया होगा  
  
 
है वो हैवान, आईने  में  मगर  
 
है वो हैवान, आईने  में  मगर  

20:47, 12 अगस्त 2010 का अवतरण

जब वो अपने नगर गया होगा
लम्हा-लम्हा ठहर गया होगा

है वो हैवान, आईने में मगर
ख़ुद से मिलते ही, डर गया होगा

तेरे कूचे से खाली हाथ लिए
वो मुसाफ़िर, किधर गया होगा

छाँव की चाह में वो जलता बदन
शाम होते ही घर गया होगा

खिल उठी फिर से इक कली "श्रद्धा"
ज़ख़्म-ए-दिल कोई भर गया होगा