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बुतख़ाना नया है न ख़ुदाख़ाना नया है
जज़्बा है अक़ीदत <ref>निष्ठा, धार्मिक विश्वास</ref> का जो रोज़ाना नया है
इक रंग पे रहता ही नहीं रंगे ज़माना
जब देखिए तब जल्वाए जानाना जानानां<ref>माशूक</ref> नया है
दम ले लो तमाज़त <ref>बहुत तेज़ गर्मी</ref> की सताई हुई रूहो
पलक की घनी छाँव में ख़सख़ाना नया है
उसका भी एक अन्दाज़ फ़क़ीराना नया है
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