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"मात देना नहीं जानतीं / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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जीती ज़रूर हैं | जीती ज़रूर हैं | ||
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जीना नहीं जानतीं; | जीना नहीं जानतीं; | ||
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17:26, 14 अगस्त 2010 का अवतरण
घर की फुटन में पड़ी औरतें
ज़िन्दगी काटती हैं
मर्द की मौह्ब्बत में मिला
काल का काला नमक चाटती हैं
जीती ज़रूर हैं
जीना नहीं जानतीं;
मात खातीं-
मात देना नहीं जानतीं