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"मौन ही मुखर है / विष्णु प्रभाकर" के अवतरणों में अंतर

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महाजनों ने कि
 
महाजनों ने कि

11:08, 16 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

कितनी सुन्दर थी
वह नन्हीं-सी चिड़िया
कितनी मादकता थी
कण्ठ में उसके
जो लाँघ कर सीमाएँ सारी
कर देती थी आप्लावित
विस्तार को विराट के

कहते हैं
वह मौन हो गई है-
पर उसका संगीत तो
और भी कर रहा है गुंजरित-
तन-मन को
दिगदिगन्त को

इसीलिए कहा है
महाजनों ने कि
मौन ही मुखर है,
कि वामन ही विराट है ।