भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"यमुना / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मान…)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:41, 22 अगस्त 2010 के समय का अवतरण


नदियों की वो रानी थी
उसमें खूब रवानी थी
उसकी एक कहानी थी
एक नदी थी मेरे शहर की

जहाँ जहाँ वो जाती थी
धरा वहाँ चिलकाती थी
हरी भरी लहराती थी
एक नदी थी मेरे शहर की

अब खूब गिरे गंदला काला
शासन के मुंह पर ताला
एक नदी थी मेरे शहर की
आज बनी गंदा नाला
                  
1990,पुरानी नोटबुक से