भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चोरों का चुनावी गान / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मान…)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:43, 22 अगस्त 2010 के समय का अवतरण


आओ आओ सारे आओ
चेहरे पर चेहरा चिपकाओ
जनता के आगे झुक जाओ

आओ चोरो बटमारो
आओ झूठो मक्कारो
जनता का ये हक है यारो
जनता चुन चुनकर भेजेगी

चोरों की सरकार बनेगी
बनती रही है, बनती रहेगी
 
1994, पुरानी नोटबुक से