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"ठहराव / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’" के अवतरणों में अंतर

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13:21, 24 अगस्त 2010 का अवतरण

तुम तो यहीं ठहर गये

ठहरे तो किले बान्धो

मीनारें गढ़ो

उतरो चढ़ो

उतरो चढ़ो

कल तक की दूसरों की

आज अपनी रक्षा करों,

मुझको तो चलना है

अन्धेरे में जलना है

समय के साथ-साथ ढलना है

इसलिये मैने कभी

बान्धे नहीं परकोटे

साधी नहीं सरहदें

औ' गढ़ी नहीं मीनारें

जीवन भर मुक्त बहा सहा

हवा-आग-पानी सा

बचपन जवानी सा।