भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नर्मदा की धारा/ शास्त्री नित्यगोपाल कटारे" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: नील नीर शुचि गंभीर नर्मदा की धारा। धीर धीर बहे समीर हरती दुःख सार…)
 
(कोई अंतर नहीं)

23:42, 25 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

नील नीर शुचि गंभीर नर्मदा की धारा।
धीर धीर बहे समीर हरती दुःख सारा।।
जल में प्रस्तर अविचल 
 छल छल छल ध्वनि निश्छल
मीन मकर क्रीडास्थल
ढ़ूंढ़ते किनारा।।नील नीर,,,,,,,
जलचर थलचर नभचर
पानी सबका सहचर
केवट धीवर अनुचर
जीविका सहारा।।नील नीर,,,,,,,
परिक्रामक झुण्ड झुण्ड
धारित त्रिपुण्ड मुण्ड
भिन्न बहु प्रपात कुण्ड
त्रिविध ताप हारा।।नील नीर,,,,,,,