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--Dilshad~dilshadnazmi
423.hathikhana.doranda .kali mandir road . ranchi . jharkhand ..india
नज़म
तुम से मिल कर अक्सर मैं ने सोचा है झील सी गहरी आँखों के असरार किताबी चेहरे पर छा जाते है किस की याद दिलाते हैं आँखों का काजल धुल धुल कर , किन ज़ख्मो पर यादों के मरहम रखता है ज़ख़्मी सुबहो को तकता है कियों शामे बोझल बोझल सी हो जाती हैं लम्हा लम्हा तरपती हैं , तुम खली खली नजरो से ,उन धुन्दले धुन्दले लम्हों को क्या तकते हो जो दूर बहोत ही दूर ,कहीं मंडराते हैं , कुछ तस्वीरें दिखलाते हैं , फिर सारी रात रुलाते हैं आओ के अपनी ज़ात के सारे ग़म , सारी खुशिया आपस में बाँट के जी लें शयेद हालात पलट जाएं . ये बोझल रस्ते कट जाएं तुम से मिल कर अक्सर मैं ने सोचा है ...........................
nazmi.dilshad@gmail.com