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"वह हर एक बात पर कहना कि यों होता तो क्या होता / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
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न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता,<br /> | न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता,<br /> | ||
डुबोया मुझको होने ने न मैं होता तो क्या होता !<br /> | डुबोया मुझको होने ने न मैं होता तो क्या होता !<br /> | ||
− | हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया | + | |
− | + | हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है,<br /> | |
+ | वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता !<br /> |
18:56, 28 अगस्त 2010 का अवतरण
न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता,
डुबोया मुझको होने ने न मैं होता तो क्या होता !
हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता !