"गंगा प्रसाद विमल / परिचय" के अवतरणों में अंतर
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गंगा प्रसाद विमल का जन्म उत्तरकाशी, उत्तरप्रदेश में हुआ। पंजाब विश्वविद्यालय से एम.ए., तथा पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। पश्चात् दिल्ली के एक कॉलेज में अध्यापन कार्य किया। सम्प्रति ये केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के निदेशक हैं। विमल ने हिन्दी साहित्य की बहु आयामी सेवा की है। इनकी रचनाएं अंग्रेजी, रूसी, फ्रांसीसी, पुर्तगाली, जापानी आदि में अनूदित हुई। कविता-संग्रह हैं : 'विजप, 'बोधि-वृक्ष और 'इतना कुछ। ये रायल एशियाटिक सोसायटी के फेलो तथा 'ऑथर्स गिल्ड के उपाध्यक्ष रहे। इनका उपन्यास 'मृगांतक अत्यंत लोकप्रिय हुआ। इन्हें बिहार एवं उत्तरप्रदेश सरकार के विशेष पुरस्कार प्राप्त हुए। | गंगा प्रसाद विमल का जन्म उत्तरकाशी, उत्तरप्रदेश में हुआ। पंजाब विश्वविद्यालय से एम.ए., तथा पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। पश्चात् दिल्ली के एक कॉलेज में अध्यापन कार्य किया। सम्प्रति ये केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के निदेशक हैं। विमल ने हिन्दी साहित्य की बहु आयामी सेवा की है। इनकी रचनाएं अंग्रेजी, रूसी, फ्रांसीसी, पुर्तगाली, जापानी आदि में अनूदित हुई। कविता-संग्रह हैं : 'विजप, 'बोधि-वृक्ष और 'इतना कुछ। ये रायल एशियाटिक सोसायटी के फेलो तथा 'ऑथर्स गिल्ड के उपाध्यक्ष रहे। इनका उपन्यास 'मृगांतक अत्यंत लोकप्रिय हुआ। इन्हें बिहार एवं उत्तरप्रदेश सरकार के विशेष पुरस्कार प्राप्त हुए। | ||
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+ | गंगा प्रसाद विमल (Ganga Prasad Vimal) | ||
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+ | (माताः श्रीमती कला देवी, पिताः स्व. विश्वम्भर दत्त उनियाल) | ||
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+ | जन्मतिथि : 3 जून 1939 | ||
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+ | जन्म स्थान : उत्तरकाशी | ||
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+ | पैतृक गाँव : टिंगरी जिला : टिहरी गढ़वाल | ||
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+ | वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्र, 1 पुत्री | ||
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+ | शिक्षा : टिंगरी में बालपन में अपने चाचा से संस्कृत भाषा की दीक्षा ली। सर्दियों में जब बर्फ पड़ी रहती चार बजे वेद उच्चारण के लिए मिली भत्र्सना के कारण संस्कृत से अरुचि। फिर एक अंग्रेज और स्व. भगवती प्रसाद सकलानी से अक्षर दीक्षा ली। फिर विभिन्न विद्यालयों, विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की। 1960 में पंजाब विश्वविद्यालय से एम.ए. में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर रिकार्ड स्थापित किया। 1964-65 में वहीं से पीएच.डी. की। | ||
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+ | जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः अपनी मूर्खताओं से लड़ते हुए साहित्य की ओर आया। | ||
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+ | प्रमुख उपलब्धियाँ : अभी तक उल्लेखनीय कुछ नहीं। न जाने किस कारण कुछ पुरस्कार मिले। तीन दर्जन के करीब पुस्तकें छपीं। देश में रहकर अनेक विदेशी कृतियों का अनुवाद किया। अनेक देशों में वहां के विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिए। देश-विदेश के अनेक साहित्य सम्मेलनों में हिस्सेदारी। देश-विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं के संपादक मंडल के सदस्य। बल्गारिया का यावरोव सम्मान, इटली के कला विश्वविद्यालय का सम्मान, पोयट्री पीपुल सम्मान तथा केरल का कुमारन आशान सम्मान से अलंकृत। 25 वर्ष दिल्ली कालेज में अध्यापन, फिर साढ़े आठ वर्ष केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के निदेशक और अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर। | ||
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05:16, 29 अगस्त 2010 का अवतरण
गंगा प्रसाद विमल का जन्म उत्तरकाशी, उत्तरप्रदेश में हुआ। पंजाब विश्वविद्यालय से एम.ए., तथा पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। पश्चात् दिल्ली के एक कॉलेज में अध्यापन कार्य किया। सम्प्रति ये केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के निदेशक हैं। विमल ने हिन्दी साहित्य की बहु आयामी सेवा की है। इनकी रचनाएं अंग्रेजी, रूसी, फ्रांसीसी, पुर्तगाली, जापानी आदि में अनूदित हुई। कविता-संग्रह हैं : 'विजप, 'बोधि-वृक्ष और 'इतना कुछ। ये रायल एशियाटिक सोसायटी के फेलो तथा 'ऑथर्स गिल्ड के उपाध्यक्ष रहे। इनका उपन्यास 'मृगांतक अत्यंत लोकप्रिय हुआ। इन्हें बिहार एवं उत्तरप्रदेश सरकार के विशेष पुरस्कार प्राप्त हुए।
गंगा प्रसाद विमल (Ganga Prasad Vimal)
(माताः श्रीमती कला देवी, पिताः स्व. विश्वम्भर दत्त उनियाल)
जन्मतिथि : 3 जून 1939
जन्म स्थान : उत्तरकाशी
पैतृक गाँव : टिंगरी जिला : टिहरी गढ़वाल
वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्र, 1 पुत्री
शिक्षा : टिंगरी में बालपन में अपने चाचा से संस्कृत भाषा की दीक्षा ली। सर्दियों में जब बर्फ पड़ी रहती चार बजे वेद उच्चारण के लिए मिली भत्र्सना के कारण संस्कृत से अरुचि। फिर एक अंग्रेज और स्व. भगवती प्रसाद सकलानी से अक्षर दीक्षा ली। फिर विभिन्न विद्यालयों, विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की। 1960 में पंजाब विश्वविद्यालय से एम.ए. में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर रिकार्ड स्थापित किया। 1964-65 में वहीं से पीएच.डी. की।
जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः अपनी मूर्खताओं से लड़ते हुए साहित्य की ओर आया।
प्रमुख उपलब्धियाँ : अभी तक उल्लेखनीय कुछ नहीं। न जाने किस कारण कुछ पुरस्कार मिले। तीन दर्जन के करीब पुस्तकें छपीं। देश में रहकर अनेक विदेशी कृतियों का अनुवाद किया। अनेक देशों में वहां के विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिए। देश-विदेश के अनेक साहित्य सम्मेलनों में हिस्सेदारी। देश-विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं के संपादक मंडल के सदस्य। बल्गारिया का यावरोव सम्मान, इटली के कला विश्वविद्यालय का सम्मान, पोयट्री पीपुल सम्मान तथा केरल का कुमारन आशान सम्मान से अलंकृत। 25 वर्ष दिल्ली कालेज में अध्यापन, फिर साढ़े आठ वर्ष केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के निदेशक और अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर।