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"हमारा मिस्री माखन खो गया है / रविकांत अनमोल" के अवतरणों में अंतर

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16:02, 29 अगस्त 2010 का अवतरण

कहां गाँओं का गोधन खो गया है
हमारा मिस्री माखन खो गया है

दिए जो ख़ाब तुमने ऊँचे-ऊँचे
उन्हीं में नन्हा बचपन खो गया है

महब्बत में समझदारी मिला दी
हमारा बावरापन खो गया है

जहा की दौलतें तो मिल गई हैं
कहीं अख़लाक का धन खो गया है

सुरीली बांसुरी की धुन सुनाकर
कहां वो मेरा मोहन खो गया है