"उस अजनबी लड़की के लिए / संकल्प शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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एक लकीर सी | एक लकीर सी | ||
कच्चे कोलतार की सड़क पे | कच्चे कोलतार की सड़क पे | ||
| − | पड़े पहिये के | + | पड़े पहिये के निशान के जैसी |
| − | हाँ मुझे स्वीकार है | + | हाँ-हाँ मुझे स्वीकार है |
| − | मैं प्रेम | + | मैं तुमसे प्रेम करता हूँ |
| − | मुझे ये भी स्वीकार है | + | और मुझे ये भी स्वीकार है |
के तुम्हें पाने और ना पाने के बीच | के तुम्हें पाने और ना पाने के बीच | ||
| − | बहुत सी दूरियां हैं | + | बहुत सी दूरियां हैं,कारण हैं |
मसलन , | मसलन , | ||
तुम्हें जानता भी नहीं | तुम्हें जानता भी नहीं | ||
तुमसे मिला भी नहीं | तुमसे मिला भी नहीं | ||
देखा भी कहाँ है तुमको | देखा भी कहाँ है तुमको | ||
| − | उस एक धुंधली सी तस्वीर के | + | अलावा |
| − | + | उस एक धुंधली सी तस्वीर के | |
| − | + | जो है मेरे ख्यालों में | |
| − | वैसे भी, | + | और वैसे भी |
| − | प्रेम करना और उसे पाना दो | + | तुम्हारे मेरे दर्मियां फ़ासला भी है |
| + | मीलों का, | ||
| + | प्रेम करना और उसे पाना | ||
| + | दो भिन्न-भिन्न बातें हैं | ||
इस जनम में तो तुम्हें शायद पा ना सकूँ | इस जनम में तो तुम्हें शायद पा ना सकूँ | ||
| − | एक और जनम | + | एक और कई जनम लेने होंगे तुम्हें पाने को .... |
| − | जनम तो शायद दुबारा हो भी | + | जनम तो शायद दुबारा हो भी जाएं |
मगर प्रेम … | मगर प्रेम … | ||
| − | क्या दुबारा | + | क्या दुबारा हो सकेगा |
| + | तो क्या ये ख्वाब ये संकल्प अधूरा ही रहेगा | ||
| + | जनमों जनमों तक..??? | ||
03:06, 30 अगस्त 2010 का अवतरण
पिछले कुछ दिनों से
मैं सुन रहा हूँ ,
तुम्हें,
तुम्हारे बारे में .
और अब
सच है के
तुम्हें सोचता भी हूँ .
खिंच गयी हो तुम
मन में
एक लकीर सी
कच्चे कोलतार की सड़क पे
पड़े पहिये के निशान के जैसी
हाँ-हाँ मुझे स्वीकार है
मैं तुमसे प्रेम करता हूँ
और मुझे ये भी स्वीकार है
के तुम्हें पाने और ना पाने के बीच
बहुत सी दूरियां हैं,कारण हैं
मसलन ,
तुम्हें जानता भी नहीं
तुमसे मिला भी नहीं
देखा भी कहाँ है तुमको
अलावा
उस एक धुंधली सी तस्वीर के
जो है मेरे ख्यालों में
और वैसे भी
तुम्हारे मेरे दर्मियां फ़ासला भी है
मीलों का,
प्रेम करना और उसे पाना
दो भिन्न-भिन्न बातें हैं
इस जनम में तो तुम्हें शायद पा ना सकूँ
एक और कई जनम लेने होंगे तुम्हें पाने को ....
जनम तो शायद दुबारा हो भी जाएं
मगर प्रेम …
क्या दुबारा हो सकेगा
तो क्या ये ख्वाब ये संकल्प अधूरा ही रहेगा
जनमों जनमों तक..???
