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"किसकी तसल्ली पर अब रोकूँ अश्कों के सैलाब मिरे / संकल्प शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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− | किसकी तसल्ली पर मैं रोकूँ अश्कों के सैलाब | + | किसकी तसल्ली पर मैं रोकूँ अश्कों के सैलाब मिरे, |
− | देख के दीवानों-सी हालत हँसते हैं अहबाब<ref>दोस्त</ref> | + | देख के दीवानों-सी हालत हँसते हैं अहबाब<ref>दोस्त</ref> मिरे |
जब से गए हो नहीं चहकती चिड़िया आकर खिड़की में, | जब से गए हो नहीं चहकती चिड़िया आकर खिड़की में, | ||
− | और महकना भूल गए हैं बाल्कनी के गुलाब | + | और महकना भूल गए हैं बाल्कनी के गुलाब मिरे |
− | + | आस के दामन से लिपटे हम कब तक तेरी राह तकें, | |
− | या तो दीद<ref>देखने को</ref> की सूरत दे या बिखरा दे सब ख्वाब | + | या तो दीद<ref>देखने को</ref> की सूरत दे या बिखरा दे सब ख्वाब मिरे |
पूछ रहा है यूँ तू मुझसे राज़ मेरी बर्बादी के, | पूछ रहा है यूँ तू मुझसे राज़ मेरी बर्बादी के, |
20:11, 30 अगस्त 2010 का अवतरण
किसकी तसल्ली पर मैं रोकूँ अश्कों के सैलाब मिरे,
देख के दीवानों-सी हालत हँसते हैं अहबाब<ref>दोस्त</ref> मिरे
जब से गए हो नहीं चहकती चिड़िया आकर खिड़की में,
और महकना भूल गए हैं बाल्कनी के गुलाब मिरे
आस के दामन से लिपटे हम कब तक तेरी राह तकें,
या तो दीद<ref>देखने को</ref> की सूरत दे या बिखरा दे सब ख्वाब मिरे
पूछ रहा है यूँ तू मुझसे राज़ मेरी बर्बादी के,
ज़रा संभालना रुला न डालें तुझको कहीं जवाब मेरे।
शब्दार्थ
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