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"मादरे-हिन्द से / नज़ीर बनारसी" के अवतरणों में अंतर

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क्‍यों न हो नाज़ ख़ाकसारी पर
 
क्‍यों न हो नाज़ ख़ाकसारी पर
 
 
               तेरे क़दमों की धूल हैं हम लोग
 
               तेरे क़दमों की धूल हैं हम लोग
 
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आज आए हैं तेरे चरणों में  
आज आये हैं तेरे चरणों में  
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               तू जो छू दे तो फूल हैं हम लोग  
 
               तू जो छू दे तो फूल हैं हम लोग  
 
 
देश भगती भी हम पे नाज़ करे
 
देश भगती भी हम पे नाज़ करे
 
 
               हम को आज ऐसी देश भगती दे
 
               हम को आज ऐसी देश भगती दे
 
 
तेरी जानिब है दुश्‍मनों की नज़र
 
तेरी जानिब है दुश्‍मनों की नज़र
 
 
               अपने बेटों को अपनी शक्‍ती दे
 
               अपने बेटों को अपनी शक्‍ती दे
 
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     माँ हमें रण में सुर्ख़रू रखना
     मां हमें रण में सुर्ख़रू रखना
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     अपने बेटों की आबरू रखना
 
     अपने बेटों की आबरू रखना
 
 
  
 
तूने हम सब की लाज रख ली है  
 
तूने हम सब की लाज रख ली है  
 
 
               देशमाता तुझे हज़ारों सलाम  
 
               देशमाता तुझे हज़ारों सलाम  
 
 
चाहिये हमको तेरा आशीर्वाद  
 
चाहिये हमको तेरा आशीर्वाद  
 
 
               शस्‍त्र उठाते हैं ले‍के तेरा नाम
 
               शस्‍त्र उठाते हैं ले‍के तेरा नाम
 
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लड़खड़ाएँ अगर हमारे क़दम
लड़खड़ायें अगर हमारे क़दम
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               रण में आकर संभालना माता
 
               रण में आकर संभालना माता
 
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बिजलियाँ दुश्‍मनों के दिल पे गिरें
बिजलियां दुश्‍मनों के दिल पे गिरें
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               इस तरह से उछालना माता
 
               इस तरह से उछालना माता
 
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         माँ हमें रण में सुर्ख़रू रखना
         मां हमें रण में सुर्ख़रू रखना
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         अपने बेटों की आबरू रखना
 
         अपने बेटों की आबरू रखना
  
हो गयी बन्‍द आज जिनकी जुबां
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               कल का इतिहास उन्‍हें पुकारेगा
 
               कल का इतिहास उन्‍हें पुकारेगा
 
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जो बहादुर लहू में डूब गए
जो बहादुर लहू में डूब गये
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               वक़्त उन्‍हें और भी उभारेगा
 
               वक़्त उन्‍हें और भी उभारेगा
 
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साँस टूटे तो ग़म नहीं माता
सांस टूटे तो ग़म नहीं माता
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               जंग में दिल न टूटने पाए
 
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हाथ कट जाएँ जब भी हाथों से  
               जंग में दिल न टूटने पाये
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               तेरा दामन न छूटने पाए      
 
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माँ हमें रण में सुर्ख़रू रखना
हाथ कट जायें जब भी हाथों से  
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     अपने बेटों की आबरू रखना
 
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               तेरा दामन न छूटने पाये      
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मां हमें रण में सुर्ख़ रखना
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     अपने बेटें की आबरू रखना
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20:15, 30 अगस्त 2010 का अवतरण

क्‍यों न हो नाज़ ख़ाकसारी पर
              तेरे क़दमों की धूल हैं हम लोग
आज आए हैं तेरे चरणों में
              तू जो छू दे तो फूल हैं हम लोग
देश भगती भी हम पे नाज़ करे
              हम को आज ऐसी देश भगती दे
तेरी जानिब है दुश्‍मनों की नज़र
              अपने बेटों को अपनी शक्‍ती दे
     माँ हमें रण में सुर्ख़रू रखना
     अपने बेटों की आबरू रखना

तूने हम सब की लाज रख ली है
              देशमाता तुझे हज़ारों सलाम
चाहिये हमको तेरा आशीर्वाद
              शस्‍त्र उठाते हैं ले‍के तेरा नाम
लड़खड़ाएँ अगर हमारे क़दम
              रण में आकर संभालना माता
बिजलियाँ दुश्‍मनों के दिल पे गिरें
              इस तरह से उछालना माता
         माँ हमें रण में सुर्ख़रू रखना
         अपने बेटों की आबरू रखना

हो गई बन्‍द आज जिनकी जुबां
              कल का इतिहास उन्‍हें पुकारेगा
जो बहादुर लहू में डूब गए
              वक़्त उन्‍हें और भी उभारेगा
साँस टूटे तो ग़म नहीं माता
              जंग में दिल न टूटने पाए
हाथ कट जाएँ जब भी हाथों से
              तेरा दामन न छूटने पाए
माँ हमें रण में सुर्ख़रू रखना
     अपने बेटों की आबरू रखना