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"किसकी तसल्ली पर अब रोकूँ अश्कों के सैलाब मिरे / संकल्प शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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आस के दामन से लिपटे हम कब तक तेरी राह तकें, | आस के दामन से लिपटे हम कब तक तेरी राह तकें, | ||
− | या तो दीद<ref> | + | या तो दीद<ref>दीदार,देखना</ref> की सूरत दे या बिखरा दे सब ख्वाब मिरे |
पूछ रहा है यूँ तू मुझसे राज़ मेरी बर्बादी के, | पूछ रहा है यूँ तू मुझसे राज़ मेरी बर्बादी के, |
20:33, 30 अगस्त 2010 का अवतरण
किसकी तसल्ली पर अब रोकूँ अश्कों के सैलाब मिरे,
देख के दीवानों सी हालत हँसते हैं अहबाब<ref>दोस्त</ref> मिरे
जब से गया वो बालकनी के फ़ूल भी सूखे -सूखे हैं
और उतरना भूल गया है खिड़की में महताब<ref>चाँद</ref> मिरे
आस के दामन से लिपटे हम कब तक तेरी राह तकें,
या तो दीद<ref>दीदार,देखना</ref> की सूरत दे या बिखरा दे सब ख्वाब मिरे
पूछ रहा है यूँ तू मुझसे राज़ मेरी बर्बादी के,
तुझ को ग़मगीं<ref>ग़मगीन,उदास </ref> भी कर सकते हैं वो सब असबाब<ref>कारण का बहुवचन </ref>
शब्दार्थ
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