भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मेरा आंगन / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (मेरा आंगन / ओम पुरोहित कागद का नाम बदलकर मेरा आंगन / ओम पुरोहित ‘कागद’ कर दिया गया है)
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित कागद  
+
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’  
|संग्रह=धूप क्यों छेड़ती है / ओम पुरोहित कागद
+
|संग्रह=धूप क्यों छेड़ती है / ओम पुरोहित ‘कागद’
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
{{KKCatKavita‎}}

13:04, 31 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

सड़क
दहलीज पर आ कर चली गई,
दहलीज में अटका रह गया
मेरा आंगन।
सड़क शहर घूम आई।

दिन की चका-चौध में
परछाइयों को ले
आगे पीछे होता रहा
मेरा घर।
परछाइयों को अंधेरे;
अंधेरों को आंगन पी गया।

सड़क
दहलीज पर आ कर चली गई,
दहलीज में अटका रह गया
मेरा आंगन।
सड़क शहर घूम आई।

बे-रोजगार से
बा-रोजगार हो गए हैं लोग
लेकिन
आलपिनों में अटका रह गया
मेरा आंगन।
सड़क शहर घूम आई।

झोंपड़ियों से उठ
निरीक्षण
सर्वेक्षण
बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर
सफेद कुर्तों की झोली में
मिट्टी को कुन्दन बना लाए है लोग
लेकिन
दो जून रोटी में अटका रह गया
मेरा आंगन।
सड़क दहलीज पर आ कर चली गई
दहलीज में अटका रह गया
मेरा आंगन।
सड़क शहर घुम आई।