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"सपने-दो / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर
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17:59, 4 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
तेरे मेरे सपने
एक से
नहीं हो सकते
क्यों कि
जिन सपनों में
मैं
तुम्हें देखता हूं
उन में
तुम मुझे
कभी नहीं देखते
अपने सपनों में
और
तुम देखते हो
जो
खुद अपने सपने
उन में
मैं नहीं
केवल तुम होते हो
फिर
क्यों हो सकते हैं
एक से
तेरे मेरे सपने?