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"नज़र आई जब आसानी हमारी / सर्वत एम जमाल" के अवतरणों में अंतर
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18:14, 5 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
नज़र आयी जब आसानी हमारी
सभी ने शक्ल पहचानी हमारी
ये मंजर देख कर सब जल मरे थे
क़दम उनके थे, पेशानी हमारी
कहीं ऐसा न हो सच जीत जाए
यही तो है परेशानी हमारी
मिलेगी जब तलक जूठन की नेमत
नहीं छूटेगी दरबानी हमारी
अभी तक चल रही है कैसे दुनिया
बढ़ी जाती है हैरानी हमारी
कटोरा ले के दर दर नाचते हैं
मगर कायम है सुल्तानी हमारी