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"कभी आका कभी सरकार लिखना / सर्वत एम जमाल" के अवतरणों में अंतर

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कभी आका  कभी सरकार लिखना
 
कभी आका  कभी सरकार लिखना
 
हमें भी आ गया किरदार लिखना
 
हमें भी आ गया किरदार लिखना
 
  
 
ये मजबूरी है या व्यापार , लिखना
 
ये मजबूरी है या व्यापार , लिखना
 
सियासी जश्न को त्यौहार लिखना
 
सियासी जश्न को त्यौहार लिखना
 
  
 
हमारे दिन गुज़र जाते हैं लेकिन
 
हमारे दिन गुज़र जाते हैं लेकिन
 
तुम्हें कैसी लगी दीवार, लिखना
 
तुम्हें कैसी लगी दीवार, लिखना
 
  
 
गली कूचों में रह जाती हैं घुट कर
 
गली कूचों में रह जाती हैं घुट कर
 
अब अफवाहें सरे बाज़ार लिखना
 
अब अफवाहें सरे बाज़ार लिखना
  
 
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तमाचा-सा न जाने क्यों लगा है
तमांचा सा न जाने क्यों लगा है
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वतन वालों को मेरा प्यार लिखना
 
वतन वालों को मेरा प्यार लिखना
 
  
 
ये जीवन है कि बचपन की पढाई
 
ये जीवन है कि बचपन की पढाई
एक एक गलती पे सौ सौ बार लिखना
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एक-एक ग़लती पे सौ-सौ बार लिखना
 
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कुछ इक उनकी नज़र में हों तो जायज़
 
कुछ इक उनकी नज़र में हों तो जायज़
मगर हर शख्स को गद्दार लिखना ?</poem>
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मगर हर शख्स को गद्दार लिखना ?
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21:28, 5 सितम्बर 2010 का अवतरण

कभी आका कभी सरकार लिखना
हमें भी आ गया किरदार लिखना

ये मजबूरी है या व्यापार , लिखना
सियासी जश्न को त्यौहार लिखना

हमारे दिन गुज़र जाते हैं लेकिन
तुम्हें कैसी लगी दीवार, लिखना

गली कूचों में रह जाती हैं घुट कर
अब अफवाहें सरे बाज़ार लिखना

तमाचा-सा न जाने क्यों लगा है
वतन वालों को मेरा प्यार लिखना

ये जीवन है कि बचपन की पढाई
एक-एक ग़लती पे सौ-सौ बार लिखना

कुछ इक उनकी नज़र में हों तो जायज़
मगर हर शख्स को गद्दार लिखना ?