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"गीत-7 / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर
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− | और कुछ पाओ ना पाओ दर्द पाओगे | + | और कुछ पाओ ना पाओ, दर्द पाओगे |
− | पत्थरों से रास्तों की, फूल सी हैं | + | पत्थरों से रास्तों की, फूल-सी हैं मंज़िलें |
जब कभी इन रास्तों पर डगमगाओगे, और कुछ………… | जब कभी इन रास्तों पर डगमगाओगे, और कुछ………… | ||
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जब कभी तुम आँख के मोती छिपाओगे, और कुछ…………… | जब कभी तुम आँख के मोती छिपाओगे, और कुछ…………… | ||
− | प्रेम का तो दर्द से रिश्ता | + | प्रेम का तो दर्द से रिश्ता पुराना है |
जब कभी तुम ऐसा रिश्ता तोड़ जाओगे, और कुछ…………… | जब कभी तुम ऐसा रिश्ता तोड़ जाओगे, और कुछ…………… | ||
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19:19, 7 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
जब कभी तुम गीत मेरा गुनगुनाओगे
और कुछ पाओ ना पाओ, दर्द पाओगे
पत्थरों से रास्तों की, फूल-सी हैं मंज़िलें
जब कभी इन रास्तों पर डगमगाओगे, और कुछ…………
छोड़कर पीपल की छाँव, छोड़कर तुम अपना गाँव
जब कभी आकाश में तारे सजाओगे, और कुछ……………
आँख के इन आँसुओं में जीत के मोती छुपे
जब कभी तुम आँख के मोती छिपाओगे, और कुछ……………
प्रेम का तो दर्द से रिश्ता पुराना है
जब कभी तुम ऐसा रिश्ता तोड़ जाओगे, और कुछ……………
1992