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"आस्वाद / गोबिन्द प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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16:39, 8 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण


कोई भी दिन
मेरे और तुम्हारे बीच
छलकती हुई
उस चाय की तरह
आ जाएगा
जो एक ही
केतली से ढकने के बावजूद
दो अलग अलग स्वादों में
 बदल जाएगा
विदाई के क्षणों की छाया में
कैसे रंग जाते हैं चीज़ों के रुख़
स्वाद बदल लेती हैं
चीज़ें भी अपना!