भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शिखर पर / गोबिन्द प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद |संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:58, 8 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
वहाँ
ठठाती हँसियों के बीच
हम सब कितने भले लगते
पहाड़ी पगडण्डियों के मोड़
पर,खड़े बतियाते
शिखर पर आकण्ठ
चिहुँक कर बोलता पाखी
गतियों में आबद्ध
दूर ही से देवदार
बाँहे फैलाते