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"हमारे आगे तेरा जब किसी ने नाम लिया / मीर तक़ी 'मीर'" के अवतरणों में अंतर

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खराब रहते थे मस्जिद के आगे मयखाने
 
खराब रहते थे मस्जिद के आगे मयखाने

19:44, 13 सितम्बर 2010 का अवतरण

हमारे आगे तेरा जब किसी ने नाम लिया
दिल-ए-सितम-ज़दा को हमने थाम लिया

खराब रहते थे मस्जिद के आगे मयखाने
निगाह-ए-मस्त ने साक़ी की इंतक़ाम लिया

वो कज-रविश न मिला मुझसे रास्ते में कभू
न सीधी तरहा से उसने मेरा सलाम लिया

मेरे सलीक़े से मेरी निभी मोहब्बत में
तमाम उम्र मैं नाकामियों से काम लिया

अगरचे गोशा-गुज़ीं हूँ मैं शाइरों में 'मीर'
पर मेरे शोर ने रू-ए-ज़मीं तमाम किया