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"आतप / शैलेन्द्र चौहान" के अवतरणों में अंतर

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फिर फूले हैं
 
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सेमल, टेसू, अमलतास
 
सेमल, टेसू, अमलतास
 
 
हुआ ग़ुलमोहर
 
हुआ ग़ुलमोहर
 
 
सुर्ख़ लाल  
 
सुर्ख़ लाल  
 
 
ताप बहुत है
 
ताप बहुत है
 
 
अलसाई है दोपहरी  
 
अलसाई है दोपहरी  
 
 
साँझ ढले
 
साँझ ढले
 
 
मेघ घिरे
 
मेघ घिरे
 
 
धीरे-धीरे खग, मृग  
 
धीरे-धीरे खग, मृग  
 
 
दृग से ओट हुए
 
दृग से ओट हुए
 
 
दुबके वनवासी
 
दुबके वनवासी
 
 
ईंधन की लकड़ी पर
 
ईंधन की लकड़ी पर
 
 
रोक लगी जंगल में
 
रोक लगी जंगल में
 
 
वन-वन भटकें मूलनिवासी
 
वन-वन भटकें मूलनिवासी
 
 
जल बिन
 
जल बिन
 
 
बहुत बुरा है हाल
 
बहुत बुरा है हाल
 
 
तेवर ग्रीष्म के हैं आक्रामक  
 
तेवर ग्रीष्म के हैं आक्रामक  
 
 
कैसे कट पाएंगे ये दिन
 
कैसे कट पाएंगे ये दिन
 
 
जन-मन,पशु-पक्षी
 
जन-मन,पशु-पक्षी
 
 
हुए हैं बेहाल
 
हुए हैं बेहाल
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01:10, 14 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

फिर फूले हैं
सेमल, टेसू, अमलतास
हुआ ग़ुलमोहर
सुर्ख़ लाल
ताप बहुत है
अलसाई है दोपहरी
साँझ ढले
मेघ घिरे
धीरे-धीरे खग, मृग
दृग से ओट हुए
दुबके वनवासी
ईंधन की लकड़ी पर
रोक लगी जंगल में
वन-वन भटकें मूलनिवासी
जल बिन
बहुत बुरा है हाल
तेवर ग्रीष्म के हैं आक्रामक
कैसे कट पाएंगे ये दिन
जन-मन,पशु-पक्षी
हुए हैं बेहाल