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पूजा-गीत / सोहनलाल द्विवेदी

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{{KKRachna
|रचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी
|संग्रह=गान्ध्ययन / सोहनलाल द्विवेदी; सेवाग्राम / सोहनलाल द्विवेदी}} {{KKCatKavita}}{{KKCatGeet}}<poem>वंदना के इन स्वरों मे,<br>में एक स्वर मेरा मिला लो।<br><br>::राग में जब मत्त झूलोबंदिनी ::तो कभी माँ को न भूलो,<br>राग में जब मत्त झूलो;<br><br> अर्चना के रत्नकण में,<br>एक कण मेरा मिला लो।<br><br> ::जब हृदय का तार बोले,<br>श्रृंखला ::शृंखला के बंद खोले;<br><br> हो हों जहाँ बलि शीश अगणित,<br>एक शिर मेरा मिला लो।<br><br/poem>
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