भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"क्या अदा है ! / अलका सर्वत मिश्रा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अलका सर्वत मिश्रा |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> ये है मुझे …)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:11, 16 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

ये है
मुझे पददलित करने की
तुम्हारी एक और कोशिश
पर ये कामयाब नहीं होगी

बहुत झेले हैं

बरसों से
तुम्हारी बातें, तुम्हारी चालें
तमाम सरकारी आश्वासनों जैसे
तुम्हारे नुस्खे
 
दबने की एक सीमा होती है
जब दबाव ज्यादा हो जाये
तो फट जाता है
ज्वालामुखी
और समेट लेता है
अपनी आग में
हजारों बस्तियों को
हजारों शहरों को
 
और फिर
बस राख बचाती है
जश्न मनाने के लिए