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"लहू / इक़बाल" के अवतरणों में अंतर

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'''लहू'''
  
चमने-ख़ार-ख़ार है दुनिया
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अगर लहू है बदन में तो ख़ौफ़<ref>भय
ख़ूने-सद नौबहार है दुनिया
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</ref>  है न हिरास<ref>त्रास
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अगर लहू है बदन में  तो दिल है बे-वसवास<ref>निडर</ref>
  
जान लेती है जुस्तजू <ref>चाहत</ref> इसकी
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जिसे मिला ये मताए-ए-गराँ बहा<ref>बड़ा धन</ref> उसको
दौलते-ज़ेरे-मार <ref>गड़ा हुआ धन जिसके ऊपर साँप कुंडली मार कर बैठा हो</ref>है दुनिया
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नसीमो-ज़र<ref>सोने-चाँदी</ref> से मुहब्बत है, नै ग़मे-इफ़्लास<ref>दरिद्रता का कष्ट</ref>  
 
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ज़िन्दगी नाम रख दिया किसने
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मौत का इंतज़ार है दुनिया
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ख़ून रोता है शौक़ मंज़िल का
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रहज़ने-रहगुज़ार <ref>रास्ते में लूट लेने वाली</ref> है दुनिया
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20:30, 16 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

लहू

अगर लहू है बदन में तो ख़ौफ़<ref>भय
</ref> है न हिरास<ref>त्रास
</ref>
अगर लहू है बदन में तो दिल है बे-वसवास<ref>निडर</ref>

जिसे मिला ये मताए-ए-गराँ बहा<ref>बड़ा धन</ref> उसको
नसीमो-ज़र<ref>सोने-चाँदी</ref> से मुहब्बत है, नै ग़मे-इफ़्लास<ref>दरिद्रता का कष्ट</ref>

शब्दार्थ
<references/>