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*[[लगा रक्खी है उसने भीड़ मज़हब की, सियासत की / कृष्ण कुमार ‘नाज़’]]
*[[बिखर चुका है मगर ज़िंदगी की चाह में है / कृष्ण कुमार ‘नाज़’]]
*[[झूठ है,छल है,कपट है,जंग है,तकरार है / कृष्ण कुमार ‘नाज़’]]
*[[ / कृष्ण कुमार ‘नाज़’]]
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