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"बचपना इस आस में/ सर्वत एम जमाल" के अवतरणों में अंतर
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बचपना इस आस में | बचपना इस आस में | ||
जिन्दगी मधुमास में | जिन्दगी मधुमास में |
21:42, 19 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
बचपना इस आस में
जिन्दगी मधुमास में
उम्र भर संत्रास में
और फिर इतिहास में
हर नगर में शोर है
बस हवा का जोर है
रोशनी किस ओर है
रात जैसी भोर है
कदम थक जाते कहीं
आँख झुक जाती कहीं
आकाश भी खोता कहीं
जमीं हिल जाती कहीं
लहर भी उछल पड़ी
मौत क्यों मचल पड़ी
बादलों की अटल झड़ी
या जिन्दगी अचल खड़ी
सपने मर जाते हैं क्या
पापी तर जाते हैं क्या
भूख जल जाती है क्या
पीड़ा मर जाती है क्या ?