भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रेम / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
रचनाकार: [[शमशेर बहादुर सिंह]]
+
{{KKRachna
[[Category:कविताएँ]]
+
|रचनाकार = शमशेर बहादुर सिंह
[[Category:शमशेर बहादुर सिंह]]
+
}}
 
+
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
 
+
 
+
  
 
द्रव्य नहीं कुछ मेरे पास
 
द्रव्य नहीं कुछ मेरे पास

18:09, 3 जुलाई 2008 का अवतरण

द्रव्य नहीं कुछ मेरे पास

फिर भी मैं करता हूं प्यार

रूप नहीं कुछ मेरे पास

फिर भी मैं करता हूं प्यार

सांसारिक व्यवहार न ज्ञान

फिर भी मैं करता हूं प्यार

शक्ति न यौवन पर अभिमान

फिर भी मैं करता हूं प्यार

कुशल कलाविद् हूं न प्रवीण

फिर भी मैं करता हूं प्यार

केवल भावुक दीन मलीन

फिर भी मैं करता हूं प्यार ।


मैंने कितने किए उपाय

किन्तु न मुझ से छूटा प्रेम

सब विधि था जीवन असहाय

किन्तु न मुझ से छूटा प्रेम

सब कुछ साधा, जप, तप, मौन

किन्तु न मुझ से छूटा प्रेम

कितना घूमा देश-विदेश

किन्तु न मुझ से छूटा प्रेम

तरह-तरह के बदले वेष

किन्तु न मुझ से छूटा प्रेम ।


उसकी बात-बात में छल है

फिर भी है वह अनुपम सुंदर

माया ही उसका संबल है

फिर भी है वह अनुपम सुंदर

वह वियोग का बादल मेरा

फिर भी है वह अनुपम सुंदर

छाया जीवन आकुल मेरा

फिर भी है वह अनुपम सुंदर

केवल कोमल, अस्थिर नभ-सी

फिर भी है वह अनुपम सुंदर

वह अंतिम भय-सी, विस्मय-सी

फिर भी है वह अनुपम सुंदर ।


(1937,1938 के आसपास रचित,'कुछ कविताएं' नामक कविता-संग्रह से)