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"गनीम से भी अदावत में हद नहीं माँगी / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर

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गनीम से भी अदावत में हद नहीं माँगी
 
गनीम से भी अदावत में हद नहीं माँगी
 
कि हार मान ली, लेकिन मदद नहीं माँगी
 
कि हार मान ली, लेकिन मदद नहीं माँगी
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हजार शुक्र कि हम अहले-हर्फ़-जिन्दा ने
 
हजार शुक्र कि हम अहले-हर्फ़-जिन्दा ने
 
मुजाविराने-अदब से सनद नहीं माँगी
 
मुजाविराने-अदब से सनद नहीं माँगी
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बहुत है लम्हा-ए-मौजूद का शरफ़ भी मुझे
 
बहुत है लम्हा-ए-मौजूद का शरफ़ भी मुझे
 
सो अपने फ़न से बकाये-अबद नहीं माँगी
 
सो अपने फ़न से बकाये-अबद नहीं माँगी
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कबूल वो जिसे करता वो इल्तिजा नहीं की
 
कबूल वो जिसे करता वो इल्तिजा नहीं की
 
दुआ जो वो ना करे मुस्तरद, नहीं माँगी
 
दुआ जो वो ना करे मुस्तरद, नहीं माँगी
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मैं अपने जाम-ए-सद-चाक से बहुत खुश हूं
 
मैं अपने जाम-ए-सद-चाक से बहुत खुश हूं
 
कभी अबा-ओ-कबा-ए-खिरद नहीं माँगी
 
कभी अबा-ओ-कबा-ए-खिरद नहीं माँगी
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शहीद जिस्म सलामत उठाये जाते हैं
 
शहीद जिस्म सलामत उठाये जाते हैं
 
तभी तो गोरकनों से लहद नहीं माँगी
 
तभी तो गोरकनों से लहद नहीं माँगी
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मैं सर-बरहना रहा फ़िर भी सर कशीदा रहा
 
मैं सर-बरहना रहा फ़िर भी सर कशीदा रहा
 
कभी कुलाह से तौकीद सर नहीं माँगी
 
कभी कुलाह से तौकीद सर नहीं माँगी
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अता-ए-दर्द में वो भी नहीं था दिल का गरीब
 
अता-ए-दर्द में वो भी नहीं था दिल का गरीब
 
फ़राज मैनें भी बख्शिश में हद नहीं माँगी
 
फ़राज मैनें भी बख्शिश में हद नहीं माँगी
 
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06:50, 26 सितम्बर 2010 का अवतरण

गनीम से भी अदावत में हद नहीं माँगी
कि हार मान ली, लेकिन मदद नहीं माँगी

हजार शुक्र कि हम अहले-हर्फ़-जिन्दा ने
मुजाविराने-अदब से सनद नहीं माँगी

बहुत है लम्हा-ए-मौजूद का शरफ़ भी मुझे
सो अपने फ़न से बकाये-अबद नहीं माँगी

कबूल वो जिसे करता वो इल्तिजा नहीं की
दुआ जो वो ना करे मुस्तरद, नहीं माँगी

मैं अपने जाम-ए-सद-चाक से बहुत खुश हूं
कभी अबा-ओ-कबा-ए-खिरद नहीं माँगी

शहीद जिस्म सलामत उठाये जाते हैं
तभी तो गोरकनों से लहद नहीं माँगी

मैं सर-बरहना रहा फ़िर भी सर कशीदा रहा
कभी कुलाह से तौकीद सर नहीं माँगी

अता-ए-दर्द में वो भी नहीं था दिल का गरीब
फ़राज मैनें भी बख्शिश में हद नहीं माँगी