भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भैयाजी स्तोत्रम् / शास्त्री नित्यगोपाल कटारे" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: तीरथ चारों धाम हमारे भैया जी कर देते सब काम हमारे भैया जी। भैया …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:44, 26 सितम्बर 2010 का अवतरण
तीरथ चारों धाम हमारे भैया जी कर देते सब काम हमारे भैया जी।
भैया जी का रौब यहाँ पर चलता है हर अधिकारी भैया जी से पलता है चाँद निकलता है इनकी परमीशन से इनकी ही मरजी से सूरज ढ़लता है दिखते बुद्धूराम हमारे भैया जी ।। कर देते सब काम हमारे भैया जी।।
पाँचों उंगली घी में और मुँह शक्कर में कोई न टिकता भैया जी की टक्कर में लिये मोबाइल बैठ कार में फिरते हैं सुरा सुन्दरी काले धन के चक्कर में व्यस्त सुबह से शाम हमारे भैया जी।। कर देते सब काम हमारे भैया जी।।
भैया जी के पास व्यक्तिगत सेना है दुष्ट जनों को रोजगार भी देना है चन्दा चौथ वसूली खिला जुआँ सट्टा प्रजातन्त्र किसको क्या लेना देना है करते न आराम हमारे भैया जी।। कर देते सब काम हमारे भैया जी।।
फरजी वोट जिधर चाहें डलवा देते पड़ी जरूरत तुरत लट्ठ चलवा देते भैया जी चाहें तो अच्छे अच्छों की पूरी इज्जत मिट्टी में मिलवा देते कर देते बदनाम हमारे भैया जी।। कर देते सब काम हमारे भैया जी।।
बीच काम में जो भी अटकाता रोड़ा अपने हिस्से में से दे देते थोड़ा साम दाम से फिर भी नहीं मानता जो भैया जी ने उसको कभी नहीं छोड़ा करते काम तमाम हमारे भैया जी।। कर देते सब काम हमारे भैया जी।।
चोरी डाका बलात्कार या हत्या कर पहूंच जाइये भैया जी की चौखट पर नहीं कर सकेगा फिर कोई बाल बांका भैया जी थाने से ले आयेंगे घर लेते पूरे दाम हमारे भैया जी।। कर देते सब काम हमारे भैया जी।।
हिन्दू हो मुस्लिम हो या फिर ईसाई सदा धर्म निरपेक्ष रहें अपने भाई धन्धे में कुछ भी ना भेद भाव करते कोई विदेशी हो या कोई सगा भाई नहीं है नमकहराम हमारे भैया जी।। कर देते सब काम हमारे भैया जी।।
जो भैया जी स्तोत्र सुबह सायं गाते सड़क भवन पुलियों का ठेका पा जाते भक्ति भाव से भेया जी रटते रटते अन्तकाल में खुद भैया जी बन जाते इतने शक्तिमान हमारे भैया जी।। कर देते सब काम हमारे भैया जी।।