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"सुनता हूँ कि नहीं इनकारी है इस बात से / शहरयार" के अवतरणों में अंतर
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12:15, 28 सितम्बर 2010 का अवतरण
सुनता हूँ कि नहीं इनकारी है इस बात से
कोई निसबत थी कभी तुझको मेरी ज़ात से
तू मेरे हमराह था दरवाज़े तक शाम के
उसके आगे क्या हुआ पूछा जाये रात से
पिछली बारिश में मुझे ख़्वाहिश थी सैलाब की
अबके तू बतला मुझे क्या माँगूं बरसात से
काम आए जो हिज्र के हर आइन्दा मोड़ पर
ऐसा इक तोहफा मुझे दे तू अपने हाथ से
हाँ मुझको भी देखले जीने की लत पड़ गई
हाँ तूने भी कर लिया समझौता हालात से