भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उनका हरेक बयान हुआ / गौतम राजरिशी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गौतम राजरिशी |संग्रह= }} <poem>उनका हर एक बयान हुआ दं...) |
|||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | <poem>उनका | + | <poem>उनका एक बयान हुआ |
− | दंगे का | + | दंगे का सामान हुआ |
− | + | कातिल का जब भेद खुला | |
− | + | हाकिम मेहरबान हुआ | |
− | + | कोना-कोना चमके घर | |
− | + | वो जबसे मेहमान हुआ | |
− | + | बस्ती ही तो एक जली | |
− | + | ऐसा क्या तूफ़ान हुआ | |
− | + | प्यास बुझी जब सूरज की | |
− | + | दरिया इक मैदान हुआ | |
− | + | उनका एक इशारा भी | |
− | + | रब का ज्यूँ फ़रमान हुआ | |
− | + | जब से हरी वर्दी पहनी | |
− | दिल | + | ये दिल हिन्दुस्तान हुआ |
+ | |||
+ | ''{दैनिक हिन्दुस्तान}''</poem> |
12:28, 28 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
उनका एक बयान हुआ
दंगे का सामान हुआ
कातिल का जब भेद खुला
हाकिम मेहरबान हुआ
कोना-कोना चमके घर
वो जबसे मेहमान हुआ
बस्ती ही तो एक जली
ऐसा क्या तूफ़ान हुआ
प्यास बुझी जब सूरज की
दरिया इक मैदान हुआ
उनका एक इशारा भी
रब का ज्यूँ फ़रमान हुआ
जब से हरी वर्दी पहनी
ये दिल हिन्दुस्तान हुआ
{दैनिक हिन्दुस्तान}