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"होली/ शास्त्री नित्यगोपाल कटारे" के अवतरणों में अंतर
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एक दूजे के अंग लगें तो होली है | एक दूजे के अंग लगें तो होली है | ||
सबको लेकर संग चलें तो होली है | सबको लेकर संग चलें तो होली है | ||
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बच्चे तो शैतानी करते रहते हैं | बच्चे तो शैतानी करते रहते हैं | ||
बूढ़े भी हुड़दंग करें तो होली है | बूढ़े भी हुड़दंग करें तो होली है | ||
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औरों को तो रोज परेशां करते हैं | औरों को तो रोज परेशां करते हैं | ||
अपनों को ही तंग करें तो होली है | अपनों को ही तंग करें तो होली है | ||
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चलते रहते रोज अजीवित वाहन पर | चलते रहते रोज अजीवित वाहन पर | ||
गर्धव का सत्संग करें तो होली है | गर्धव का सत्संग करें तो होली है | ||
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बनते हैं पकवान सभी त्यौहारों पर | बनते हैं पकवान सभी त्यौहारों पर | ||
हर गुझिया में भंग भरें तो होली है | हर गुझिया में भंग भरें तो होली है | ||
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घोर विषमता भरे कष्टकर जीवन में | घोर विषमता भरे कष्टकर जीवन में | ||
मुसकाने का ढ़ंग करें तो होली है | मुसकाने का ढ़ंग करें तो होली है | ||
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नारिशील पर मर्यादा की सील लगी | नारिशील पर मर्यादा की सील लगी | ||
वही शील को भंग करें तो होली है | वही शील को भंग करें तो होली है | ||
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बच्चे बूढ़े प्रेम करें तो जायज है | बच्चे बूढ़े प्रेम करें तो जायज है | ||
इसी काम को यंग करें तो होली है | इसी काम को यंग करें तो होली है |
23:13, 28 सितम्बर 2010 का अवतरण
एक दूजे के अंग लगें तो होली है सबको लेकर संग चलें तो होली है
बच्चे तो शैतानी करते रहते हैं बूढ़े भी हुड़दंग करें तो होली है
औरों को तो रोज परेशां करते हैं अपनों को ही तंग करें तो होली है
चलते रहते रोज अजीवित वाहन पर गर्धव का सत्संग करें तो होली है
बनते हैं पकवान सभी त्यौहारों पर हर गुझिया में भंग भरें तो होली है
घोर विषमता भरे कष्टकर जीवन में मुसकाने का ढ़ंग करें तो होली है
नारिशील पर मर्यादा की सील लगी वही शील को भंग करें तो होली है
बच्चे बूढ़े प्रेम करें तो जायज है इसी काम को यंग करें तो होली है