भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चर्मकार / लीलाधर मंडलोई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर म…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:53, 29 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
भेड़ की खाल की
सुगन्ध के बारे में
जानता है कर्मकार
मदमस्त हो उठता है उसमें
भेड़ का कोट पहनने वाले
उस सुगन्ध का पता
खोजते रहते हैं जीवन भर