भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तरलता / लीलाधर मंडलोई" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=लिखे में दुक्‍ख / लीलाधर म…)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:24, 29 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण


तुम करो मेरा तिरस्‍कार
मुझे कोई दुक्‍ख नहीं

जिन रास्‍तों से पहुंचा हूं यहां
अपनी मूर्खताओं के साथ
प्‍यारी हैं मुझे

मैं कपड़ा बुनता जुलाहा सही
कैसे भूल जाऊं कपास का मूल्‍य

मेरी तरलता मूर्खताओं से बनी है