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"पृथ्वी के कक्ष में / वंशी माहेश्वरी" के अवतरणों में अंतर
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− | पृथ्वी के कक्ष में चलेगी | + | पृथ्वी के कक्ष में चलेगी कक्षा |
कक्षा के बाहर आते ही | कक्षा के बाहर आते ही | ||
− | आकाश का नहीं रहेगा | + | आकाश का नहीं रहेगा नामोनिशान । |
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17:47, 29 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
पहले की तरह नहीं होगा पहला
आज की नंगी आँखों में
उदित होती उम्मीद
कल की देह में अस्त हो जाएगी
सूर्य की आत्मा में
उदित होगा कल
पृथ्वी के कक्ष में चलेगी कक्षा
कक्षा के बाहर आते ही
आकाश का नहीं रहेगा नामोनिशान ।