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"सुहाना हो भले मौसम मगर अच्छा नहीं लगता / जयकृष्ण राय तुषार" के अवतरणों में अंतर

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सुहाना हो भले मौसम मगर अच्छा नहीं लगता
सफर में तुम नहीं हो तो सफर अच्छा नहीं लगता
फिजा में रंग होली के हों या मंजर दीवाली के
मगर जब तुम नहीं होते ये घर अच्छा नहीं लगता
जहाँ बचपन की यादें हों कभी माँ से बिछड़ने की
भले ही खूबसूरत हो शहर अच्छा नहीं लगता
परिन्दे जिसकी शाखों पर कभी नग्में नहीं गाते
हरापन चाहे जितना हो शजर अच्छा नहीं लगता
तुम्हारे हुश्न का ये रंग सादा खूबसूरत है
हिना के रंग पर कोई कलर अच्छा नहीं लगता
तुम्हारे हर हुनर के हो गये हम इस तरह कायल
हमें अपना भी अब कोई हुनर अच्छा नहीं लगता
निगाहें मुंतजिर मेरी सभी रस्तों की है लेकिन
जिधर से तुम नहीं आते उधर अच्छा नहीं लगता